योगी कथामृत: इस शताब्दी की 100 सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक पुस्तकों में गिनी जाने वाली परमहंस योगानन्दजी की यह विलक्षण जीवन-गाथा आपको संतों और योगियों, विज्ञान और चमत्कार, एवं मृत्यु और पुनरुत्थान के जगत् की एक अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाती है। परमहंसजी जीवन एवं ब्रह्माण्ड के गहनतम रहस्यों पर आत्मा को तृप्त करने वाले ज्ञान एवं मनमोहक वाकपटुता के साथ प्रकाश डालते हैं। वे हमारे हृदय और मन को मनुष्य के जीवन में निहित आनन्द, आत्मिक-सौन्दर्य एवं अनन्त आध्यात्मिक क्षमताओं की ओर उन्मुख करते हैं। योगी कथामृत का यह सम्पूर्ण कॉपीराइट संस्करण केवल योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया से प्रकाशित किया जाता है। यह संस्था इस पुस्तक के लेखक श्री श्री परमहंस योगानंद द्वारा स्थापित की गयी है — केवल इसी प्रकाशन में पुस्तक की विषय-वस्तु से संबंधित लेखक की सभी इच्छाओं का समावेश किया गया है, जिसमें 1946 संस्करण के बाद लेखक द्वारा जोड़ी गयी व्यापक कथा-वस्तु एवं एक अंतिम पूर्ण ४९वां प्रकरण (चैप्टर) - "1940-1951 की अवधि"— जो कि लेखक द्वारा अपने जीवन के अंतिम वर्षों के दौरान लिखा गया — शामिल हैं। इस संस्करण में कॉपीराइट अभिलेखीय तस्वीरें, अतिरिक्त रूप से सहायक फुटनोट और इंडेक्स भी शामिल हैं। (पुस्तक पर योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया का होलोग्राम ज़रूर देखें) In 1996, Yoga International hailed Paramahansa Yogananda as the “father of yoga in the west.” In 1999, his acclaimed autobiography was selected as one of the 100 best spiritual books of the 20th century. This spiritual classic has introduced millions of readers to the science and philosophy of yoga meditation. Paramahansa Yogananda narrates the inspiring chronicle of his life – the experiences of his remarkable childhood, encounters with many saints and sages during his youthful search throughout India for an illumined teacher, ten years of training in the ashram of his God-realized Guru Sri Yukteshwar Giri (who was the disciple of Lahiri Mahasaya). Also recorded his meetings with Ramana Maharshi, Ananda Moyi Ma, Master Mahasaya (the disciple of Ramkrishna Paramahansa), Mahatma Gandhi, Rabindranath Tagore & Jagadish C Bose.